संदीप
यह कहानी है संदीप की| जिसके माता पिता का निधन हो गया था और वह अपनी बूढ़ी दादी के साथ रहता था। दादी उसे रस्सियों में बांध कर काम पर चली जाती थी। सर्व शिक्षा अभियान ने संदीप को आजादी दिलाकर शिक्षा पाने का अवसर उपलब्ध कराया। जब सभी बच्चे खेल रहे होते, शरारते कर रहे होते, वह फुटपाथ पर खंभे से बंधा अपनी दादी मां का इंतजार कर रहा होता| उसकी मासूम आंखो में कोई शिकायत नहीं बस उदासी नजर आती। उसके होंठों पर न मुस्कान होती न सवाल, अगर कुछ होता उसके पास, तो बस एक सूनापन| खंभे से बंधे हुये, खाली नजरों से वो हर आते जाते को देखता। कभी रस्सी का सिरा जहां तक पहुँच सके वहां तक जाकर बस यूं ही खड़ा हो जाता| 65 साल की दादी मां 08 साल का संदीप सिंह जिला भिण्ड तहसील गोहद चौक की सड़कों की फुटपाथों पर यूं ही गुजर बसर करते| लेकिन इस बच्चे की कहानी से बचपन कहीं गुम हो गया। जानने वाले दांतो तले उंगलियां दबाते है लेकिन यह इस मासूम की जिदंगी की हकीकत है दादी और पोते की ये कहानी जानने के लिए विमला वाई की कहानी जानना भी जरूरी है। पांच साल पहले विमला वाई के बेटे यानि संदीप के पिता की मौत हो गयी थी। संदीप कुछ बोल और सुन नहीं सकता| जब वह पैदा हुआ था, तो सामान्य बच्चों की तरह था। कुछ महीनो बाद उसे तेज बुखार हुआ, उसके बाद वह इसी तरह हो गया। परिवार में कोई ओर नहीं है जो उसकी देखभाल कर सकता है। दादी हर रोज मूंगफली आदि बेचकर उससे होने वाली कमाई से अपना और अपने पोते का किसी तरह भरण पोषण कर रही है। विमला बाई का ये 08 साल का पोता संदीप ( HI+MR ) श्रवण बाधित और मानसिक मंद बच्चा है। संदीप और उसकी दादी की जिदंगी उन अँधेरी और चुनौतीपूर्ण जिदंगियो में एक है जिस पर सर्वशिक्षा अभियान के अतंर्गत कार्यरत मोबाईल स्त्रोत सलाहकार (एमआरसी) की नजर पडी| दिव्यांग होकर अपने आप में चुनौती पूर्ण जीवन के लिए मजबूर ऐसे बच्चों की जिदंगी आसान बनाने के लिए एमआरसी ने प्रयास किया| प्रयास करने पर आशा की किरण नजर आने लगी। बहुत बार विमला बाई से संपर्क करके बच्चे को भिण्ड जिले के सीडब्ल्यूएसएन छात्रावास में दर्ज कराने का प्रयास किया पर विमला बाई से कोई रिसपोन्स नहीं मिला। फिर भी सर्व शिक्षा अभियान की मोबाइल स्रोत सलाहकार संदीप को सामान्य और आसान जिदंगी मुहैया कराने की पूरी कोशिश में लगी रही| बार-बार प्रयास करने पर विमला बाई ने संदीप को शासकीय प्राथमिक शाला गोहद चौक में दर्ज करवाया।
अब संदीप सामान्य वच्चों के साथ सामान्य जिदंगी जीने लगा है। और अब उसकी दादी सर्व शिक्षा अभियान की मोबाइल स्रोत सलाहकार को बहुत दुआ देती है कि, बिटिया तुमने तो मेंरे पोते के लिए देवदूत सा काम किया है| साथ ही संदीप भी बेहद खुश है, वो भी प्रसन्नचित होकर नियमित विद्यालय जाने लगा है।