Testimonial

चांदनी

चांदनी

ये मूरत बेाल सकती है अगर चाहो

होश और जोश की चिंगारी सुलगा कर तो देखो

उक्त पंक्तियाँ चरितार्थ की गयी हैं श्री हुकुम सिंह उनियाल प्र0अ0/वार्डन आवासीय हास्टल 55 राजपुर रोड देहरादून के द्वारा। सर्व शिक्षा अभियान/ शिक्षा का अधिकार कार्यक्रम के अन्तर्गत विशेष बच्चे जो विद्यालयी शिक्षा से वंचित हैं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए देहरादून जनपद में 55 राजपुर रोड में एक आवासीय छात्रावास संचालित है. इस छात्रावास में लगभग 50 से अधिक बच्चे जो विभिन्न कारणों से शाला त्यागी थे को विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से मुख्यधारा में जोड़ने का पवित्र कार्य किया है प्र0अ0/वार्डन श्री उनियाल एवं उनके सहयोगी स्टाफ ने। इन्हीं बच्चों में से एक है चांदनी।

जैसा कहते हैं ‘‘होनहार बीरवान के होत चीकने पात’’ यह बच्ची जन्म से एक हाथ एवं एक पांव से दिव्यांग है परन्तु आज हौसलों एवं  उम्मीदों के साथ जीवनपथ पर आगे अग्रसर है। चांदनी मूल रूप से बिहार राज्य की रहने वाली है जो पढ़ाई लिखायी से कोसों दूर थी। इनका पूरा परिवार देहरादून के घण्टाघर के आस पास भिक्षा वृत्ति करते थे। प्र0अ0 द्वारा इस बच्ची के माता पिता से इसको आवासीय हास्टल में पढ़ाई लिखायी हेतु भेजने के लिए आग्रह किया गया परन्तु माता पिता इसके लिए तैयार नहीं थे। प्र0अ0 द्वारा सतत एवं बार.बार परामर्श कर एवं यह चुनौती लेते हए कहा कि इस बालिका को 1 माह तक हमारे पास भेज दो यदि आपको इसमें काई परिवर्तन नहीं दिखा तो इसे वापस बुला लेना। इस शर्त पर अन्ततः सफलता हासिल करते हए बच्ची के माता पिता विशेष प्रशिक्षण हेतु भेजने के लिए राजी हो गये और दोनों हुकुम के हुकुम को टाल न सके और चांदनी को हुकुम के हवाले कर दिया। अब हुकुम एवं उनके सहयोगियों के पास एक चुनौती थी कि चांदनी का आवासीय हास्टल में ठहराव एवं उसे प्रारम्भिक ज्ञान देना। प्रधानाध्यापक एवं विद्यालयी की शिक्षिका संगीता तोमर द्वारा जिस परिश्रम एवं प्रेरणा के साथ चांदनी के साथ कार्य किया उसी का परिणाम था कि बच्ची अब घर वापस जाने के लिए तैयार नहीं थी। एक माह के पश्चात माता पिता चांदनी को लेने हास्टल आ पहुंचे लेकिन चांदनी ने वापस लौटेने के लिए मना कर दिया। 03 महीने बाद पुनः माता पिता फिर से यह कहते हुए कि इसके दादा की मृत्यु हो गयी है, अब तो इसे छोड़ दो, परन्तु चांदनी ने वापस जाने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि उसे पढ़ाई करनी है और कुछ नहीं। आज चांदनी कक्षा 7 में पढ़ रहीं है और धारा प्रवाह हिन्दी एवं अंग्रेजी बोलती एवं पढ़ती है। चांदनी भविष्य में शिक्षक बनना चाहती है।

पूर्व में 11 जनवरी 2017 को शिक्षा मंत्रालय के सचिव श्री अनिल स्वरूप द्वारा इस छात्रावास में अपने निरीक्षण के दौरान जब इस बच्ची से बातचीत की और पढ़ाई लिखाई से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त की तो वो बच्चों की प्रगति से इतने प्रसन्न हुए कि चांदनी और सभी बच्चे ‘‘यूं ही मेहनत से पढ़ो और आगे बढ़ो। प्रधानाध्याक और शिक्षकों द्वारा किया जा रहा यह प्रयास उल्लेखनीय एवं सराहनीय है। इसलिए कहा गया है कि- Difficult Roads often leads to Beautiful Destinations.