रजनी कुमारी
मेरा नाम रजनी कुमारी है । मैं कक्षा छ: की छात्रा हूँ । मेरे विद्यालय का नाम राजकीय उच्च प्रथमिक विद्यालय सितारगंज है। मैं कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय के छात्रावास में रहती हूँ। बहुत छोटी थी जब मेरे माता व पिता की मृत्यु हो गयी और हम भाई बहन सब अकेले रह गए। माता पिता की मृत्यु होने के बाद हमारे घर में बहुत सारी आर्थिक समस्याएं आ गई। जिनके कारण मेरी छ: बहने पढाई नहीं कर पाई और एक बहन 8 पास करके घर में बैठ गई और मेरी दो बहनों की शादी मेरे पिता जी ने कर दी थी। पिता जी की मृत्यु के बाद मेरी सबसे बड़ी वाली बहन ने मजदूरी करके हम छोटे भाई बहनों को पढाया। एक मेरा छोटा भाई है सोनू और एक बडा भाई कमल, जिसको सबसे ज्यादा मेरी बड़ी बहन ने मजदूरी कर कर दिन रात मेहनत करके उसे पढाया। धीरे धीरे मेरे बड़े भाई ने 12 वीं कक्षा पास कर ली। वह और आगे पढना चाहते थे लेकिन घर में परेशानी होने के कारण वे आगे नहीं पढ़ सकते थे। तब तक मैंने अपने गाँव के विद्यालय में ५ वीं की कक्षा पास कर ली और घर बैठ गई।
एक दिन मेरे भाई को मेरी टीचर ने विद्यालय में बुलाया और पूछा तुम्हारी बहन रजनी पढ़ रही है। तो मेरे भाई ने कहा की नहीं घर में परेशानी है। हम ऐसे में उसे कैसे पढ़ा सकते हैं। तभी मेरी टीचर ने बताया की सितारगंज में बालिकाओं के लिए विद्यालय खुला है, जो बालिका पढाई से वंचित होकर घर बैठ गई हैं उन्हें वहां पर प्रवेश दिया जाता है। उस विद्यालय का नाम कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय है। वहां पर सभी चीज़ों की सुविधाएं हैं। वहां पर मुफ्त में पढाई दी जाती है ।
घर में आकर भाई ने मुझे ये बात बताई और में भी बहुत खुश हुई, की हाँ अब में पढ़ सकती हूँ । फिर मेरे भाई ने कस्तूरबा की वार्डन से बात की और दाखिला वहाँ पर करा दिया। आज में बहुत खुश हूँ, बहुत ज्यादा! अब में बहित खुश हूँ की में पढ़ सकती हूँ और अपना सपना पूरा कर सकती हूँ। छात्रावास की एक प्रधानाध्यापिका जी हैं, जिनका नाम श्रींमती ललिता कोहली है। वह बहुत अच्छी हैं। हमारी मैडम श्रीमती ललिता कोहली सबको बहुत प्यार करती हैं। अपने बच्चों से ज्यादा हमें प्यार देती हैं। ज्यादा से ज्यादा समय अपना हमारे साथ बिताती हैं और हमें अच्छी अच्छी बातें बताती हैं । मुझे वहां जाकर ऐसा लगने लगा की मुझे मेरी मैडम श्रीमती ललिता कोहली जी के कारण वह अवसर मिला है, की मैं अब अपनी इच्छा पूरी कर सकती हूँ। जो चाहूँ बन सकती हूँ। इस विद्यालय में सभी चीज़ों की सुविधाएं हैं जैसे – खाने की सुविधा, पढाई की सुविधा, अपने बचाव के लिए कराटे की सुविधा, सोने व रहने की सुबिधा, इत्यादि सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यहाँ पर हमें बहुत सी चीज़ें सिखाई जाती हैं जैसे कराटे, एन0सी0सी0, स्काउट गाइड, डांस, गीत, कंप्यूटर, सिलाई, बुनाई, क्राफ्ट, म्यूजिक पैरट, डॉल, गमले आदि चीज़ें सिखाई जाती हैं। आज मैं बहुत खुश हूँ, की इतनी सुविधाएं हमारे लिए इस कस्तूरबा गाँधी में हैं और इतने कुछ सीखने के लिए हमें इस कस्तूरबा गाँधी से मिल रहा है।