इशिका गोपाल
कन्या प्रा.वि. बागली, जिला देवास मे अध्ययनरत इशिका गोपाल की कहानी कुछ ऐसी है कि, छात्रा इशिका के पिता गोपाल के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद घर की समस्त जवाबदारी उसके दादा ने सम्हाली| इशिका एक मानसिक दिव्यांग लडकी थी उसका व्यवहार कुछ अलग तरह का था वो सुबह उठने के बाद हमेशा चलती रहती थी| एक व्यक्ति को हमेशा उसका ध्यान रखना पडता था| सर्वशिक्षा अभियान के अतंर्गत कार्यरत मोबाईल स्त्रोत सलाहकार (एमआरसी) द्वारा उसके परिवार से सम्पर्क किया गया और उसकी दैनिक दिनचर्या के बारे मे चर्चा की गई| चर्चा के दौरान छात्रा इशिका से बात की लेकिन वह अपने धुन मे ही रहती थी मोबाईल स्त्रोत सलाहकार ने उसे उसकी रुचि अनुसार कुछ खिलौने लाने को कहा एवं सतत उस छात्रा के घर सम्पर्क करता रहा| सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दी गई मानसिक किट उसको प्रदान किया गया मानसिक किट मे दी गई शैक्षणिक शिक्षण सामग्री, पजल्स, खिलौने, चित्रकार्ड आदि का उपयोग करना बताया गया। इशिका चित्रो पजल्स को देखकर उनसे खेलने लगी और दो-दो घंटे उन्ही पजल्स व सामग्री से खेलने लगी और धीरे धीरे सुधार आने लगा और वह निर्देश का पालन करने लगी और उसकी दिनचर्या मे काफी सुधार हुआ।
इशिका का नाम उसके दादा जी ने क. प्रा.वि. बागली मे दर्ज कराया और प्रतिदिन उसको स्कूल भेजने लगे शुरु मे कुछ समस्याए आई लेकिन स्कूल के प्रधानाध्यापक शिक्षक श्री गोविन्द राजपूत और उनकी कक्षाध्यापिका. श्रीमती रामकन्या पाचोरिया द्वारा काफी प्रयास किया गया शिक्षिका द्वारा उसका हमेषा ध्यान रखने के बाद कक्षा की समस्त गतिविधियो मे भागीदारी कराना सराहनीय कार्य था आज वे स्कूल की समस्त गतिविधियो मे भागीदारी करती है शिक्षिका के निर्देषो का पालन करती है और अपनी समस्याओ को शिक्षिका से बताती है। आज वे काफी कुछ लिख लेती है लेकिन बोलने की समस्या है उसके लिए प्रयास किया जा रहा है। आज उसके दादा जी उसके सुधार से काफी खुश है और उसके प्रगति के लिए हमेषा सोचते रहते है।